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    Yoga: सूर्य नमस्कार से नौकासन तक, कफ दोष संतुलन में प्रभावी हैं ये योगासन

    1 week ago

    <p style="text-align: justify;"><strong>Yogasanas are Effective for Health:</strong> आयुर्वेद के मुताबिक, शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. कफ, जो पृथ्वी और जल तत्वों से जुड़ा है, शरीर में स्थिरता और चिकनाई प्रदान करता है. लेकिन, असंतुलन होने पर यह कई समस्याओं की वजह भी बन सकता है. इससे आलस्य, बलगम और सर्दी-खांसी के साथ वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में कई योगासन कफ दोष को संतुलित करने में कारगर है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>नियमित योगासन करने से संतुलित होता है कफ दोष&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;">आयुष मंत्रालय के मुताबिक, ये योगासन नियमित करने से कफ दोष संतुलित होता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है. इन्हें खाली पेट और योग एक्सपर्ट की सलाह से करना चाहिए. एक्सपर्ट बताते हैं कि कफ दोष असंतुलन कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसे दूर न किया जा सके. इस समस्या से पार पाने में कई योगासन प्रभावी हैं. इनमें सूर्य नमस्कार, उत्कटासन, उष्ट्रासन, धनुरासन, त्रिकोणासन, नौकासन, पवनमुक्तासन, मार्जरी-वत्सला, अधोमुख श्वानासन समेत अन्य योग शामिल हैं.</p> <p style="text-align: justify;">सूर्य नमस्कार 8 आसनों का समूह है, जो पूरे शरीर में ऊर्जा का संचार करता है. यह रक्त संचार को बेहतर करता है, बल्कि आलस्य कम करता है और फेफड़ों को मजबूत कर बलगम की समस्या को दूर करता है. उत्कटासन, जांघों और कूल्हों को मजबूती देता है. यह मेटाबॉलिज्म को भी तेज करता है, जिससे कफ के कारण होने वाली सुस्ती और भारीपन कम होता है.</p> <p style="text-align: justify;">उष्ट्रासन छाती को फैलाता है, जिससे श्वसन तंत्र मजबूत होता है. यह बलगम को कम करने और सांस लेने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मददगार है. इसके साथ ही त्रिकोणासन शरीर से कफ को निकालने में सहायक है. यह तनाव और चिंता को कम करता है, साथ ही पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>पेट की चर्बी घटाने और पाचन सुधारने में मददगार</strong></p> <p style="text-align: justify;">धनुरासन छाती को फैलाता है और फेफड़ों को खोलता है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं कम होती हैं. यह पेट की चर्बी घटाने और पाचन सुधारने में भी मदद करता है. वहीं, नौकासन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पाचन तंत्र को सक्रिय कर गैस और कब्ज की समस्या को दूर करता है. वहीं, पवनमुक्तासन शरीर में जमी गैस को निकालता है और कफ के कारण होने वाली पाचन समस्याओं को ठीक करता है.</p> <p style="text-align: justify;">वहीं, मार्जरी-वत्सला रीढ़ को लचीलापन देता है और श्वसन तंत्र को बेहतर बनाकर कफ को नियंत्रित करता है. अधोमुख श्वानासन रक्त संचार को बढ़ाता है, तनाव कम करता है और फेफड़ों को मजबूत कर कफ से राहत दिलाता है.</p> <p style="text-align: justify;">इसके अलावा, दिनचर्या में व्यायाम, सुबह-शाम वॉक करना, डांस जैसी गतिविधियों को शामिल कर रक्त संचार, गर्मी और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाकर कफ दोष को संतुलित करने में मदद मिलती है. इसके साथ ही एक्सपर्ट सही खानपान की भी सलाह देते हैं.</p>
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